New Delhi: पाकिस्तान की तरफ से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर 200 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाने का सबसे अधिक असर पाकिस्तानी छुहारे पर हुआ है।
भारत में आने वाले पाकिस्तानी छुहारे की जगह ईराकी छुहारे ने ले ली है। भारत के व्यापारियों ने खाड़ी देशों का रुख कर लिया है। जिससे खाड़ी देशों का बाजार गुलजार होने लगा है। भारतीय बाजार में ईराकी छुहारा तेजी से पैर पसार रहा है। साथ ही लोगों की पंसद बनना भी शुरू हो गया है।
पाकिस्तानी में छुहारा की काफी पैदावार है। बीते वर्ष भारत ने पाकिस्तान से 171,004 टन छुहारों का आयात किया। जिसका सालाना कारोबार 110 करोड़ के आस पास था। पुलवामा की घटना के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान से आने वाले सामनों पर आयात शुल्क 200 फीसदी बढ़ा दिया था।
भारत की थोक मार्केट से लेकर खुदरा दुकानों तक पाकिस्तानी छुहारों की कालाबाजारी शुरू हो गयी। जो छुहारा 75 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा था वह बढ़कर 100 से 150 रुपए प्रति किलो तक हो गया है। वहीं परचून की दुकानों पर इसका दाम बढ़कर 250 रुपए तक हो गया है।
भारत में सबसे ज्यादा छुहारा पाकिस्तान से आता है और इसका सालाना कारोबार करीब 110 करोड़ रुपए है। अमृतसर से मुख्य रूप से इसकी आमद होती है। साल 2015-16 के दौरान आईसीपी के जरिए पाकिस्तान से 2414.08 करोड़ रुपए। 2017-18 में 3403.95 करोड़ और चालू वर्ष 2018-19 में नवंबर 2018 तक पाकिस्तान 2471.72 करोड़ रुपए का सामान आयात किया गया।
पाकिस्तान एशिया का एकमात्र देश है जो बड़े स्तर पर छुहारे की खेती करता है और दुनिया भर में छुहारे उत्पादन के मामले में ये 5वें नंबर आता है। इसकी सबसे ज्यादा खेती मिस्त्र में होती है। पाकिस्तान के सिंध में छुहारे का उत्पादन ज्यादा होता है। क्योंकि वहां की जलवायु उसके अनुकूल है।
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