आज 15 नवंबर को धरती आबा यानी बिरसा मुंडा के जयंती ऑर झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसी दिन आदिवासी समाज बिरसा मुंडा के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। आदिवासी समाज बिरसा मुंडा को भगवान कहकर बुलाते हैं। 15 नवंबर को बिरसा मुंडा के जन्मदिन ऑर झारखंड स्थापना दिवस का मेल हो जाता है। बिरसा मुंडा ने 19 शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़े थे, आजादी की लड़ाई में उनकी सक्रियता ऑर अहम योगदान को इस याद किया जाता है। झारखंड खनिज सम्पदा से संशाधित राज्य है जहां ,अभ्रक, कोयला ,बौक्साइट, लौह अस्यक, तांबा, यूरेनियम, ग्रेनाइट चुना पत्थर सहित अनेकों खनिज पदार्थ मौजूद हैं।
बिहार से अलग झारखंड बनने के पीछे का सच –15 नवंबर 2000 को झारखंड बिहार से अलग हो गया। लेकिन अलग राज्य होने की नींव 1939 में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान जयपाल सिंह मुंडा ने रखी थी। जयपाल सिंह मुंडा का यह विचार 15 नवंबर 2000 में हकीकत में बदल गया। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय में संसद में अलग राज्य का दर्जा का बिल पास हो गया और देश का 28वां राज्य बना।
बिरसा मुंडा के बारे में – बिरसा मुंडा का जन्म छोटा नागपुर के रांची स्थित खूंटी के उलीहातु गाँव में सुगना मुंडा के घर में 15 नवंबर 1875 में हुआ था। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मुहिम के दौरान उन्हें 3 मार्च 1900 को चक्रधरपुर में बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी हुई। 9 जून 1900 को रांची के जेल में लगभग 25 साल की आयु में निधन हो गया। इस घटना के बाद करीब शताब्दी वर्ष के बाद अलग झारखंड का स्थापना हुआ। झारखंड में सर्वाधिक औधोगिक स्थान –झारखंड खनिज सम्पदा से भरपूर राज्य है साथ ही अधौगिक केंद्र भी हैं जिसमें जमशेदपुर ,बोकारो रांची ,धनबाद शामिल हैं। विश्व का पाँचवाँ ऑर भारत का पहला इस्पात कारख़ाना जमशेदपुर ( टाटा ) में स्थित है।
विभिन्न जनजातियाँ मौजूद हैं झारखंड में– झारखंड में कई जातियाँ ऑर जनजातियां निवास करती हैं। यहां कई तरह की बोली ऑर भाषा बोली जाती है और विभिन्न धर्मों के लोग भी रहते हैं। हिंदी ,नागपुरी ,खोरठा कुरमाली यहां की प्रमुख भाषा है। झारखंड में विकास की अनदेखी –जिस प्रकार से झारखंड बिहार से अलग होकर एक अलग स्वतंत्र राज्य बना, लोगों की उम्मीद थी कि यहां विकास का बयार बहेगा क्योंकि झारखंड खनिज संपदा से भरपूर राज्य है परंतु आज भी विकास से कोसों दूर है। राजनैतिक अस्थिरता ऑर काम करने की इच्छा- शक्ति का अभाव के कारण लोग पलायन कर रहे हैं। अगर झारखंड में सही दिशा में काम होता तो इसे पर्यटन स्थल का हब बनने से कोई नहीं रोक सकता था।